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दही की कीमत

जब एक शख्स लगभग पैंतालीस वर्ष के थे तब उनकी पत्नी का स्वर्गवास हो गया था। लोगों ने दूसरी शादी की सलाह दी परन्तु उन्होंने यह कहकर मना कर दिया कि पुत्र के रूप में पत्नी की दी हुई भेंट मेरे पास हैं, इसी के साथ पूरी जिन्दगी अच्छे से कट जाएगी।  पुत्र जब वयस्क हुआ तो पूरा कारोबार पुत्र के हवाले कर दिया। स्वयं कभी अपने तो कभी दोस्तों के आॅफिस में बैठकर समय व्यतीत करने लगे।  पुत्र की शादी के बाद वह ओर अधिक निश्चित हो गये। पूरा घर बहू को सुपुर्द कर दिया।  पुत्र की शादी के लगभग एक वर्ष बाद दोहपर में खाना खा रहे थे, पुत्र भी लंच करने ऑफिस से आ गया था और हाथ–मुँह धोकर खाना खाने की तैयारी कर रहा था।  उसने सुना कि पिता जी ने बहू से खाने के साथ दही माँगा और बहू ने जवाब दिया कि आज घर में दही उपलब्ध नहीं है। खाना खाकर पिताजी ऑफिस चले गये।  थोडी देर बाद पुत्र अपनी पत्नी के साथ खाना खाने बैठा। खाने में प्याला भरा हुआ दही भी था। पुत्र ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और खाना खाकर स्वयं भी ऑफिस चला गया।  कुछ दिन बाद पुत्र ने अपने पिताजी से कहा- ‘‘पापा आज आपको कोर्ट चलना है, आज आपका व...
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पहली बार अकेली सफर कर रही थी

रूबीना का रिजर्वेशन जिस बोगी में था, उसमें लगभग सभी लड़के ही थे । टॉयलेट जाने के बहाने रुबिना पूरी बोगी घूम आई थी, मुश्किल से दो या तीन औरतें होंगी । मन अनजाने भय से काँप सा गया । पहली बार अकेली सफर कर रही थी, इसलिये पहले से ही घबराई हुई थी। अतः खुद को सहज रखने के लिए चुपचाप अपनी सीट पर मैगज़ीन निकाल कर पढ़ने लगी नवयुवकों का झुंड जो शायद किसी कैम्प जा रहे थे, के हँसी - मजाक , चुटकुले उसके हिम्मत को और भी तोड़ रहे थे । रूबिना के भय और घबराहट के बीच अनचाही सी रात धीरे - धीरे उतरने लगी । सहसा सामने के सीट पर बैठे लड़के ने कहा -- " हेलो , मैं एहसान और आप ? " भय से पीली पड़ चुकी रुबिना ने कहा --" जी मैं ........." "कोई बात नहीं , नाम मत बताइये । वैसे कहाँ जा रहीं हैं आप ?" रुबिना ने धीरे से कहा--"इलाहबाद" "क्या इलाहाबाद... ? वो तो मेरा नानी -घर है। इस रिश्ते से तो आप मेरी बहन लगीं । खुश होते हुए एहसान ने कहा । और फिर इलाहाबाद की अनगिनत बातें बताता रहा कि उसके नाना जी काफी नामी व्यक्ति हैं , उसके दोनों मामा सेना के उच्च अधिकार...

कौतूहलवश इसकी फिल्म बनवा ली

  गर्भपात करवाना गलत माना गया है, कृपया इस लेख को अवश्य पढ़े और अगर इसे पढ़ कर आपके दिलकी धड़कने बढ़ जाये तो शेयर अवश्य करे | गर्भस्थ बच्ची की हत्या का आँखोँ देखा वि अमेरिका मेँ सन 1984 मेँ एक सम्मेलन हुआ था 'नेशनल राइट्स टू लाईफ कन्वैन्शन' । इस सम्मेलन के एक प्रतिनिधि ने डॉ॰ बर्नार्ड नेथेनसन के द्वारा गर्भपात की बनायी गयी एक अल्ट्रासाउण्ड फिल्म 'साइलेण्ट स्क्रीम' (गूँगी चीख) का जो विवरण दिया था, वह इस प्रकार है- ' गर्भ की वह मासूम बच्ची अभी दस सप्ताह की थी व काफी चुस्त थी । हम उसे अपनी माँ की कोख मेँ खेलते, करवट बदलते वअंगूठा चूसते हुए देख रहे थे । उसके दिल की धड़कनोँ को भी हम देख पा रहे थे और वह उस समय 120 की साधारण गति से धड़क रहा था । सब कुछ बिलकुल सामान्य था; किँतु जैसे ही पहले औजार (सक्सन पम्प) ने गर्भाशय की दीवार को छुआ, वह मासूम बच्ची डर से एकदम घूमकर सिकुड़ गयी और उसके दिल की धड़कन काफी बढ़ गयी । हलाँकिअभी तक किसी औजार ने बच्ची को छुआ तकभी नहीँ था, लेकिन उसे अनुभव हो गया था कि कोई चीज उसके आरामगाह, उसके सुरक्षित क्षेत्र पर हमल...

टीकमगढ़ मेरा छोटा ही सही

कड़वा चाहे नीम पर चन्दन से कम नहीं टीकमगढ़ मेरा छोटा ही सही पर लंदन से कम नहीं;! नेता है यहा हजारो , पर "हम"जैसा कोई नहीं । " टीकमगढ़ "का चटपटा खाना , पूरे विश्व मे कही नहीं । हर छोटी बड़ी बाते होती है यहा , पर प्यार से रहते सभी धर्म यहा । लेकिन दुनिया के नक्शे मे, है चमकता मेरा  टीकमगढ़ वहा । कहते मेरे टीकमगढ़ को , ।। रामराजा ।। की पावन नगरी जहा पर बस्ती है , हर संस्कृति की डगरी । खाने मे अच्छी लगती है टीकमगढ़ की रस की गुजिया।  किला  टीकमगढ़ है विश्व प्रसिद्ध , मेरा टीकमगढ़ किसी से कम नहीं है ये सिद्ध । कुंढेसवर मंदिर। तालाब के घाट , मित्र और परिवार मिलके काटे हर रात । और भी ढेरो चिज़े है देखने को मेरे "  " टीकमगढ़ मे। पर मे बयां नहीं कर सकता हु मेरे इन चंद शब्दो मे। मेरे  टीकमगढ़ की है बात प्यारी और निराली , मेरे  टीकमगढ़ की बोली है भी बड़ी निराली । जो भी देखे मेरे  टीकमगढ़ को यही का हो जाय , बस हर जगह मेरा  टीकमगढ़ अपनी छवि छोड़ जाये। बोलो गणपति  बप्पा  मोरया जय मध्य प्रदेश जय  टीकमगढ़ साभार

क्रोध को ऐसे टालना

  😡 क्रोध को ऐसे टालना- क्रोध सोमवार को आये, तो कहना कि सप्ताह की शुरुआत है - आज नहीं करूँगा । मंगलवार को आये, तो बोलना कि मंगल में अमंगल क्यों करूँ । बुध को आये, तो कहना कि बुध तो शुद्ध है - इसे अशुद्ध क्यों करुँ । गुरुवार को आये, तो बोलना आज तो गुरु का दिन है - मन में शान्ति रखना है । शुक्रवार को आये, तो कहना कि शुक्र को तो शुक्रिया अदा करना है भगवान का । शनिवार को आये, तो सोचना कि शनि के दिन घर में शनिचर क्यों आयें और रविवार को आये, तो कहना- आज तो छुट्टी का दिन है । खुश रहिये, मुस्कराते रहिये और हाँ, कभी क्रोध न कीजिये । साभार

दुसरे मौक़े के लिये धन्यवाद

  Nice one must read आज सवेरे,सवेरे,अख़बार मे शोक समाचार के कालम मे, अपनी फ़ोटो को देखँ हैरान था, आश्चर्य,,क्या मैं मर गया हू,? या किसी मसखरे का शिकार हो गया हू, रुको,,थोड़ा सोचता हू, पिछली रात ही तो मेरे सीने में भारी दर्द उठा था, और मैं पसीने से तरबतर हो गया था फिर मुझे कुछ याद नही, मैं शायद गहरी नींद में सो गया था, और अब सुबह के ८ बज चुके है, बिना काफ़ी मेरी आँख नहीं खुलती, आज आफ़िस में फिर लेट होने वाला हू, चिढचिढे बास का फिर भाषण सुनने वाला हू पर ये क्या? क्यूँ मेरे घर मे भीड़ हो रही है, सारी भीड़ क्यूँ रो रही है, यहाँ बरामदे मे क्यूँ हाहाकार मचा पड़ा है मेरा शरीर सफ़ेद कपड़ों में लिपटा,ज़मीन पर क्यूँ पड़ा है मैं यहाँ हूँ, मैं चिल्लाता हू, कोई इधर देखो,सुनो, मैं यहाँ हू न कोई ध्यान देता है ,न कोई सुन पाता है, हर कोई कातर नज़र से बस मेरे शरीर को निहारता है, मैं अपने कमरे में वापस आ जाता हू, बाहर कोहराम मचा है, ये,क्या मेरी बीबी रो रही है, बहुत दुखी और उजडी सी दिख रही है मेरे बेटे को शायद नही कुछ एहसास है, वह केवल इसलिये रो रहा है कि, क्यूँकि...

ये अनुभव हो की आप हो

  एक भक्त था वह बिहारी जी को बहुत मनाता था, बड़े प्रेम और भाव से उनकी सेवा किया करता था. एक दिन भगवान से कहने लगा – में आपकी इतनी भक्ति करता हूँ पर आज तक मुझे आपकी अनुभूति नहीं हुई. मैं चाहता हूँ कि आप भले ही मुझे दर्शन ना दे पर ऐसा कुछ कीजिये की मुझे ये अनुभव हो की आप हो. भगवान ने कहा ठीक है. तुम रोज सुबह समुद्र के किनारे सैर पर जाते हो, जब तुम रेत पर चलोगे तो तुम्हे दो पैरो की जगह चार पैर दिखाई देगे, दो तुम्हारे पैर होगे और दो पैरो के निशान मेरे होगे. इस तरह तुम्हे मेरी अनुभूति होगी. अगले दिन वह सैर पर गया, जब वह रे़त पर चलने लगा तो उसे अपने पैरों के साथ-साथ दो पैर और भी दिखाई दिये वह बड़ा खुश हुआ, अब रोज ऐसा होने लगा. एक बार उसे व्यापार में घाटा हुआ सब कुछ चला गया, वह रोड पर आ गया उसके अपनो ने उसका साथ छोड दिया. देखो यही इस दुनिया की प्रॉब्लम है, मुसीबत मे सब साथ छोड देते है. अब वह सैर पर गया तो उसे चार पैरों की जगह दो पैर दिखाई दिये. उसे बड़ा आश्चर्य हुआ कि बुरे वक्त मे भगवन ने साथ छोड दिया. धीरे-धीरे सब कुछ ठीक होने लगा फिर सब लोग उसके पास वापस आने लगे. ...