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Showing posts from March, 2022

माँ जो बचपन मेंचाँद दिखाती हैं | joke masti

  असली खगोलशास्त्री तो परिवार में ही होते हैं - एक माँ जो बचपन में चाँद दिखाती हैं -   दूसरे पापा जो एक थप्पड़ में सारा ब्रह्माण्ड दिखा देते हैं- तीसरी पत्नी जो दिन में तारे दिखाती है !! ये नासा-वासा तो सिर्फ़ भ्रम है..!! 😂😝😂😝😂😝😂😝😂 शादी के बाद ज़िंदगी       "उत्तराखंड ""हो जाती है.....  जहाँ खूबसूरती तो है पर आपदाएँ बहुत आती हैं....... From WhatsApp

बुजुर्गो को चूहा मत बनाइये | सलाह

  *बुजुर्गो को चूहा मत बनाइये...* (अवश्य पढ़ें और मनन करें) एक आश्चर्यजनक रीति चल पड़ी है, बुजुर्ग बीमार हुए, एम्बुलेंस बुलाओ, जेब के अनुसार 3 स्टार या 5 स्टार अस्पताल ले जाओ, ICU में भर्ती करो और फिर जैसा जैसा डाक्टर कहता जाए, मानते जाओ। और *अस्पताल के हर डाक्टर, कर्मचारी के सामने आप कहते है कि "पैसे की चिंता मत करिए, बस इनको ठीक कर दीजिए"* और डाक्टर एवम अस्पताल कर्मचारी लगे हाथ आपके मेडिकल ज्ञान को भी परख लेते है और फिर आपके भावनात्मक रुख को देखते हुए खेल आरम्भ होता है.. *कई तरह की जांचे होने लगती हैं, फिर रोज रोज नई नई दवाइयां दी जाती है, रोग के नए नए नाम बताये जाते हैं और आप सोचते है कि बहुत अच्छा इलाज हो रहा है।* 80 साल के बुजुर्ग के हाथों में  सुइयां घुसी रहती है, बेचारे करवट तक नही ले पाते। ICU में मरीज के पास कोई रुक नही सकता या बार बार मिल नही सकते। भिन्न नई नई दवाइयों के परीक्षण की प्रयोगशाला बन जाता है 80 वर्षीय शरीर। आप ये सब क्या कर रहे है एक शरीर के साथ ? *शरीर, आत्मा, मृत्युलोक, परलोक की अवधारणा बताने वाले धर्म की मान्यता है कि ज्ञात मृत्यु सदा सुखद ...

काश हम सब भी | रोचक संस्मरण

  काश हमसब भी.... रसोई में नल से पानी रिस रहा था, तो मैंने एक प्लंबर को बुला लिया।  मैं उसको काम करते देख रहा था।.  उसने अपने थैले से एक रिंच निकाली। रिंच की डंडी टूटी हुई थी। मैं चुपचाप देखता रहा कि वह इस रिंच से कैसे काम करेगा?    उसने पाइप से नल को अलग किया। पाइप का जो हिस्सा गल गया था, उसे काटना था।  उसने फिर थैले में हाथ डाला और एक पतली-सी आरी उसने निकाली। आरी भी आधी टूटी हुई थी।.  मैं मन ही मन सोच रहा था कि पता नहीं किसे बुला लिया हूं ?   इसके औजार ही ठीक नहीं तो फिर इससे क्या काम होगा?  वह धीरे-धीरे अपनी मुठ्टी में आरी पकड़ कर पाइप पर चला रहा था। उसके हाथ सधे हुए थे। कुछ मिनट तक आरी आगे-पीछे किया और पाइप के दो टुकड़े हो गए। उसने गले हिस्से को बाहर निकाला और बाकी हिस्से में नल को फिट कर दिया। इस पूरे काम में उसे दस मिनट का समय लगा।  मैंने उसे 100 रूपये दिए तो उसने कहा कि इतने पैसे नहीं बनते साहब। आप आधे दीजिए।     उसकी बात पर मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ। मैने उससे पूछा। “क्यों भाई? पैसे भी कोई ...